19 अन वणी हरग-दुत धरती पे आपणी दाँतळी चलाई, अन धरती का अंगूरा का गुच्छा ने काटन परमेसर का गुस्सा का मोटा कुण्ड में नाक दिदा।
अतराक में एक ओरी हरग-दुत जिंने वादी पे अदिकार हो, वो वेदीऊँ निकळयो अन जिंका नके धार दिदी तकी दाँतळी ही वणीऊँ जोरऊँ हेलो पाड़न क्यो, “थाँरी धार लागी तकी दाँतळीऊँ धरती की वेलड़ीऊँ अंगूर का गुच्छा काटी ले, काँके ईंका अंगूर पाक ग्या हे।”