अन मूँ कई देकूँ हूँ के, मारा हामे एक धोळो वादळा हे अन वींके ऊपरे एक मनक बेट्यो तको वो मनक का पूत का जस्यान को दिकरियो हो, वणी आपणाँ माता में होना को मुकट पेर मेल्यो हो अन वींका हात में एक धार दिदी तकी दाँतळी ही।
अतराक में एक हरग-दुत मन्दर मयनेऊँ बारणे आयो अन वो वणीऊँ ज्यो वादळा पे बेट्यो तको हो, जोरऊँ हेलो पाड़न क्यो, “दाँतळी चलान हाक भेळी कर, काँके धरती की हाक पाकगी हे अन हाक भेळी करबा की टेम आगी हे।”