पण यद्याँ आपणाँ बुरा करम परमेसर की धारमिकताने सई तरियाऊँ परगट करे हे अन अणी बात पे परमेसर आपाँ पे गुस्सो करे हे तो आपाँ कई केवा के, वीं आपणाँ हाते अन्याव करे हे। यो तो मूँ मनक का रिती पे कूँ हूँ।
वीं मनक धन्न हे जीं परमेसर का ईं दरसावा की किताब का संदेसा ने भणे अन हुणे अन ईंका मयने जो बाताँ लिकी तकी हे, वाँके जस्यान चाले हे। काँके वाँ टेम नके हे, जद्याँ ईं बाताँ पुरी वेई।
ईंका केड़े मने काँस का जस्यान को समन्द नजर आयो वो अस्यान दिक्यो हो जस्यान के, वींके मयने वादी वेवे। जी मनक वीं डरावणा जनावर की मूरती अन वींका नाम का नम्बरऊँ जितग्या हा, वाँने वीं काँस का समन्द पे ऊबा तका देक्यो। वणा का नके परमेसर का आड़ीऊँ दिदी तकी रणभेरी ही।