4 वणी आपणाँ पूँछऊँ फळेटो मारन आकासऊँ एक तीहाई तारा ने रेटे फेंक दिदा। अन वो वीं लुगई का हामे ज्या बाळक जनमबा वाळी ही ऊबो वेग्यो जणीऊँ जद्याँ वाँ बाळक जनमे तो वो वींने निगळजा।
थाँको बाप तो सेतान हो अन थाँ वींकी मरजी ने पुरी करणा छावो हो। वो तो ठेटऊँ हत्यारो हो। वो कदी भी हाँच का आड़ी ने रियो, काँके वींमें हाँच कोयने हे, जद्याँ वो जूट बोले हे, तो आपणाँ हाव-भाव के तरिया बोले हे। काँके वो जूटो हे अन हरेक जूट को बाप हे।
ईंका केड़े हरग में लड़ई सरू वेगी जिंमें मुक्यो मीकाईल हरग-दुत अन वींका हरग-दुत अन वीं मोटा अजगर का बचमें लड़ई वीं अन वो अजगर भी वींके दुताँ का हाते लड़्यो।
में जणी जनावर ने देक्यो हो, वो दिकबा में तो चीता का जस्यान को हो, पण वींका पग रिसड़ा का जस्यान का अन मुण्डो नार की जस्यान को हो। अन वणी अजगर वींने आपणी गादी अन आपणाँ हाराई अदिकार, तागत हूँप दिदी।
वीं मनक वीं अजगर के धोक लागबा लागग्या, काँके वणी आपणाँ हाराई अदिकार वीं डरावणा जनावर ने दे दिदा हा। पछे मनक वीं जनावर के भी धोक लागन केबा लागा, “ईं जनावर का जस्यान को कूण हे? ज्यो अणीऊँ लड़ सके?”
ईंका केड़े मूँ कई देकूँ हूँ के, वीं मोटा अजगर का मुण्डाऊँ अन वीं डरावणा जनावर का मुण्डाऊँ अन वींका परमेसर की आड़ीऊँ जूट बोलबावाळा का मुण्डाऊँ तीन हुगली आत्मा निकळी, वीं डेड़का की जस्यान दिकरी ही।
जद्याँ चोते हरग-दुत रणभेरी बजई, तो एक तीहाई सुरज, चाँद अन तारा पे विपती आई। ईं वजेऊँ वाँको एक तीहाई भाग काळो पड़ग्यो। जिंका वजेऊँ एक तीहाई दन अन रात में अन्दारो वेग्यो।
पेले हरग-दुत जस्यानी रणभेरी बजई, वस्यानई लुई वाळा गड़ा अन वादी दिकई दिदी अन वाँने धरती पे फेंक दिदा। जणीऊँ धरती को एक तीहाई भाग बळग्यो। एक तीहाई रूँकड़ा बळ ग्या अन हाराई लिलो चारो भी बळग्यो।