ईंका केड़े आकास में एक मोटो हेन्याण परगट व्यो, एक लुगई दिकई दिदी वणी सुरज ने धारण कर मेल्यो हो अन चाँद वींके पगा का रेटे हो। वींके माता पे मुकट हो, जिंका ऊपरे बारा तारा जड़या तका हा।
तो वो अजगर वीं लुगई पे गुस्सा में आग्यो, अन वो वीं लुगई का वाँ मनकाँ पे जी परमेसर की आग्या मान्याँ करता हा अन ईसू मसी की गवई देता हा वाँकाऊँ लड़बा का वाते निकळग्यो।
वणी आपणाँ पूँछऊँ फळेटो मारन आकासऊँ एक तीहाई तारा ने रेटे फेंक दिदा। अन वो वीं लुगई का हामे ज्या बाळक जनमबा वाळी ही ऊबो वेग्यो जणीऊँ जद्याँ वाँ बाळक जनमे तो वो वींने निगळजा।
ईंका केड़े हरग में लड़ई सरू वेगी जिंमें मुक्यो मीकाईल हरग-दुत अन वींका हरग-दुत अन वीं मोटा अजगर का बचमें लड़ई वीं अन वो अजगर भी वींके दुताँ का हाते लड़्यो।
तद्याँ में समन्द का मयनेऊँ एक डरावणो जनावर ने बारणे निकळतो देक्यो। वींके दस तो हिंगड़ा अन हात माता हा। अन वणी आपणाँ हिंगड़ा पे दस राजमुकट पेर मल्या हा। वींका हरेक माता पे परमेसर को अपमान करबावाळा नाम लिक्या तका हा।
में जणी जनावर ने देक्यो हो, वो दिकबा में तो चीता का जस्यान को हो, पण वींका पग रिसड़ा का जस्यान का अन मुण्डो नार की जस्यान को हो। अन वणी अजगर वींने आपणी गादी अन आपणाँ हाराई अदिकार, तागत हूँप दिदी।
वीं मनक वीं अजगर के धोक लागबा लागग्या, काँके वणी आपणाँ हाराई अदिकार वीं डरावणा जनावर ने दे दिदा हा। पछे मनक वीं जनावर के भी धोक लागन केबा लागा, “ईं जनावर का जस्यान को कूण हे? ज्यो अणीऊँ लड़ सके?”
ईंका केड़े में हरग में एक ओरी अचम्बो करबावाळो हेन्याण देक्यो, में कई देक्यो के, हात हरग-दुत हे अन वाँके नके हात विपत्याँ ही। काँके ईं आकरी नास के पूरो व्या केड़े परमेसर को गुस्सा को भी अंत वे जाई।
ईंका केड़े मूँ कई देकूँ हूँ के, वीं मोटा अजगर का मुण्डाऊँ अन वीं डरावणा जनावर का मुण्डाऊँ अन वींका परमेसर की आड़ीऊँ जूट बोलबावाळा का मुण्डाऊँ तीन हुगली आत्मा निकळी, वीं डेड़का की जस्यान दिकरी ही।
“जी दस हिंगड़ा थें देक्या हे, वीं भी दस राजा ने दिकावे हे, पण वाँने आलतरे तईं राज-दरबार ने मल्यो। पण वाँने डरावणा जनावर का हाते थोड़ीक टेम का वाते राज करबा को हक दिदो जाई।
अन वीं दस हिंगड़ा जिंने थें देक्या हा अन वाँके हाते वीं डरावणा जनावर वीं वेस्याऊँ नपरत करी, वीं वींको हारोई कोसन वींने उगाड़ी कर देई। अन वींको माँस खई जाई अन वींने वादी में बाल देई।
तद्याँ वीं हरग-दुत माराऊँ क्यो, “थूँ अचम्बो में काँ पड़ग्यो? मूँ थने ईं लुगई अन वीं डरावणा जनावर का बारा में जिंका हात माता अन दस हिंगड़ा हे, वींको भेद बताऊँ।