बाळक जणवा की टेम लुगई ने पिड़ा वेवे हे, काँके वाँके दुक की घड़ी हे। पण जद्याँ वाँ बाळक ने जनम दे देवे, तो वाँ अणी खुसीऊँ के, दनियाँ में एक बाळक जनम्यो हे, वीं दुक की घड़ी ने पाच्छी आद ने राके हे।
काँके सास्तर में लिक्यो हे के “हे बना छोरा-छोरी वाळी लुगई थूँ राजी वे अन खुसी मना काँके थने जापा को दुक ने जेलणो पड़्यो हे। काँके पनी तकी लुगायाऊँ भी छोड़ी तकी लुगई के छोरा-छोरी हेला हे।”
वणी आपणाँ पूँछऊँ फळेटो मारन आकासऊँ एक तीहाई तारा ने रेटे फेंक दिदा। अन वो वीं लुगई का हामे ज्या बाळक जनमबा वाळी ही ऊबो वेग्यो जणीऊँ जद्याँ वाँ बाळक जनमे तो वो वींने निगळजा।