15 तो वो मोटो अजगर वीं लुगई का पाच्छे आपणाँ मुण्डाऊँ नंदी का जस्यान पाणी निकाळ्यो, जणीऊँ वाँ वींके मयने वेन डुबन मर जावे।
पण मने दरपणी लागे हे, काँके कदी अस्यान ने वेजा के, जस्यान धरती की पेली लुगई ज्या हवा ही, वींने हाँप आपणी चालऊँ भटका दिदी ही, वस्यानीस ईं थाँका मन भी मसी की भगतीऊँ अन पवितरताऊँ ज्यो आपाँने मसी का वाते राकणी छावे, वणीऊँ भटका ने दिदो जावे।
पण धरती वणी लुगई की मदत किदी, धरती आपणाँ मुण्डो फाड़न वीं नंदी का पाणी ने जिंने वणी अजगर आपणाँ मुण्डाऊँ निकाळ्यो हो, वींने पिगी।
अन वीं मोटा अजगर ने धरती पे फेंक दिदा ग्यो ओ वोईस पुराणो मोटा हाँप हे जिंने दानव कन सेतान क्यो ग्यो हे। ओ हारी दनियाँ ने भरमातो रेवे। ईं अजगर ने ईंका दुताँ का हाते धरती पे फेंक दिदा ग्या।
वीं हरग-दुत माराऊँ पाछो क्यो, “थें जी नंद्याँ देकी हे, ज्याँका कनारे वाँ वेस्याँ बेटी ही, वीं नंद्याँ हाराई देसाँ का मनकाँने, जात्या ने, हारी बोली बोलबावाळा मनकाँने अन गोताँ ने बतावे हे।
वो वीं अजगर ने ज्या पुराणो हाँप ज्यो इबलिस अन सेतान केवातो हो, वींने पकड़न एक हजार वर का वाते हाँकळऊँ बांद दिदो।