1 ईंका केड़े आकास में एक मोटो हेन्याण परगट व्यो, एक लुगई दिकई दिदी वणी सुरज ने धारण कर मेल्यो हो अन चाँद वींके पगा का रेटे हो। वींके माता पे मुकट हो, जिंका ऊपरे बारा तारा जड़या तका हा।
“वीं टेम मनक का पूत का आबा को हेन्याण आकास में परगट वेई। तद्याँ धरती पे हारी जाता का मनक हाका-भार करी अन मनक का पूत ने तागत अन मेमा का हाते हरग का वादळा पे परगट वेता देको।
काँके जस्यान परबू थाँकी चन्ता करे हे वस्यान मूँ भी थाँकी चन्ता करूँ हूँ। मूँ थाँकी बात एकीस मसी का हाते लगा मेली हे जणीऊँ मूँ थाँने पुवितर कूँवारी छोरी का जस्यान मसी ने हूँप दूँ।
वणा हात तारा ने जिंने थें मारा जीमणा हात में देक्या हा अन वाँ हात होना का दिवा को भेद ओ हे के, वीं हात तारा हातई मण्डळ्याँ का हात दुताँ ने दिकावे अन वीं हात दिवा हातई मण्डळ्याँ ने दिकावे हे।
ईंका केड़े परमेसर का मन्दर ने जो हरग में हे वींने खोल्यो ग्यो, अन वीं मन्दर में मने वादा वाळी पेटी दिकई दिदी। वींके केड़े विजळी चकमवा लागी अन कड़कवा की अवाज हुणई देबा लागी अन वादळा गाजबा लाग्यो, अन भूकम आबा लागो अन गड़ा पड़बा लागा।
ईंका केड़े में हरग में एक ओरी अचम्बो करबावाळो हेन्याण देक्यो, में कई देक्यो के, हात हरग-दुत हे अन वाँके नके हात विपत्याँ ही। काँके ईं आकरी नास के पूरो व्या केड़े परमेसर को गुस्सा को भी अंत वे जाई।