9 धरती का हाराई देसा का थोड़ाक मनक, हारी बोली बोलबावाळा मेंऊँ थोड़ाक मनक, हारी गोताँ का थोड़ाक मनक वाँका लास ने हाड़ा तीन दनाँ तईं देकी, वीं वाँकी लास ने कबर में ने मेलबा देई।
काँके थाँको भी न्याव वस्यानीस करियो जाई, जस्यान थाँ न्याव करबा की टेम में दूजाँ मनकाँ का हाते करो हो। परमेसर थाँने वणीस नापऊँ नापी जणीऊँ थाँ दूजाँ ने नापो हो।
अन जद्याँ वणी किताब ले लिदी, तो वणा च्यारई जीवता जीव अन वीं चोवीस पुरवज वींके धोक लाग्या। वणा हाराई का नके विणा ही अन वीं वाना आबावाळी चिजाँऊँ भरिया तका होना का प्याला लेन राक मेल्या हा। यो धरमिया की परातना दिकावे हे।
वीं एक नुवो गीत गाबा लागा हा के, “थाँ ईं किताब ने अन ईंपे लागी तकी मोराँ ने खोलबा जोगो हो, काँके थाँ बली चड़न थाँका लुईऊँ हाराई कुल का मनकाँ ने, हारी बोली बोलबावाळा ने, हारी जात्या का मनकाँ ने परमेसर वाते मोल लिदो हे।