2 पण मन्दर की चार दिवारी की जगाँ ने मती नापज्ये, काँके ओ जो यहूदी ने हे वणा मनकाँ ने दिदो ग्यो। वीं बयालिस मिना तईं आपणाँ पगाँऊँ वीं पुवितर नगर ने गूंदी।
“थाँ धरती का हाराई मनकाँ का वाते लूण हो, पण यद्याँ लूण को हवाद बगड़ जावे तो वो पाछो खारो ने बणायो जा सके हे। अन नेई वो कई कामे आवे हे पण वींने फेंक दिदो जावे, जणीऊँ वो मनकाँ का पगाँऊँ गुद्यो जावे।”
मनक तरवाराऊँ काट्या जाई अन दूजाँ ने बंदी बणान दूजाँ देस में पूगा दिदा जाई अन यरूसलेम जी यहूदी ने हे वाँका पगाँ का रेटे गुद्या जाई तद्याँ तईं वाँको टेम पूरो ने वे जावे।
थाँ होचो के, वो मनक कतरो दण्ड भोगी, जणी आपणाँ पगा का रेटे परमेसर का बेटा ने गूँन्दयो हे, अन वो वणी करार का पुवितर लुई जणीऊँ वो पुवितर किदो हो वो वींने एक अपुवितर मान्यो हे अन वणी दया करबावाळी आत्मा को भी अपमान किदो हे।
वो दूत मने परमेसर की आत्मा में एक मोटा अन ऊसा मंगरा पे लेग्यो, अन वणी मने पुवितर नगर नुवा यरूसलेम का दरसण कराया। वो नगर परमेसर का आड़ीऊँ रेटे उतर रियो हो।
अन यद्याँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा की अणी किताब में लिक्या तका वसना मेंऊँ कई घटाई तो परमेसर ईं किताब में लिक्या तका जीवन का रूँकड़ा अन पुवितर नगर मेंऊँ वींको हिस्सो वणीऊँ कोसी लेई।