ईंका केड़े में हरग में एक ओरी अचम्बो करबावाळो हेन्याण देक्यो, में कई देक्यो के, हात हरग-दुत हे अन वाँके नके हात विपत्याँ ही। काँके ईं आकरी नास के पूरो व्या केड़े परमेसर को गुस्सा को भी अंत वे जाई।
तो में आकास में एक बाज ने उड़तो तको देक्यो अन वो जोरकी अवाज में बोलरियो हा के, “आलतरे तो तीन हरग दुताँ को रणभेरी बजाणी बाकी हे, ईं वाते धरती पे रेबावाळा मनकाँ ने कतरो दुक वेई, कतरो दुक वेई।”