12 वणा दुया ने हरगऊँ अवाज हुणई दिदी के, “ऊपरे अई जावो।” अस्यान हुणन वीं दुई आपणाँ दसमणा ने देकता देकता हरग में पराग्या।
नरक में दुक में तड़पता तका जद्याँ वणी आक्याँऊँ देक्यो के, अबराम वणीऊँ घणो छेटी हे, पण, वींने वो गरीब लाजर वींकी गोद में दिक्यो।
आ बात केन वाँकाणी देकतईं देकता ईसू ने वटूँ हरग में उठा लिदा ग्या अन बादळा में वे नजराऊँ ओजल वेग्या।
ईंका केड़े आपाँने ज्यो जीवता अन बच्या तका हाँ, वाँका हाते वादळा में परबूऊँ हवा में मलबा वाते ऊपरे उठा लिदा जावा। अस्यान आपाँ हमेस्यान परबू का हाते रेवा।
वणी एक छोरा ने जनम दिदो, वो हारी जात्या पे लोड़ा की लाटी का जोर पे राज करबावाळो हो। पण फटाफट वो छोरो परमेसर का गादी का हामे उठान लेजायो ग्यो।
ज्यो भी जिती मूँ वींने मारी हाते मारा गादी पे बेवाड़ऊँ। वस्यानीस जस्यान मूँ जित्या केड़े मारा बापू की गादी पे बेट्यो हूँ।
ईंका केड़े में देक्यो के हरग को बारणो खुल्यो हे अन वाँ अवाज जो मने पेल्याँ हुणई दिदी ही, रणभेरी की अवाज में बोलरी ही के, “ऊपरे अई जा, मूँ थने वीं बाताँ बताऊँ जीं आबावाळा टेम में पकी वेबावाळी हे।”