अन मने हरगऊँ जोरकी अवाज हुणई दिदी वा अवाज वेता तका जरणा का अन बिजळी का कड़कवा का जस्यान की ही, ज्या अवाज में हूणी, वाँ मानो, घणा जणा रणभेरी बजाबावाळा का जस्यान की ही।
ईंका केड़े में हरग में एक ओरी अचम्बो करबावाळो हेन्याण देक्यो, में कई देक्यो के, हात हरग-दुत हे अन वाँके नके हात विपत्याँ ही। काँके ईं आकरी नास के पूरो व्या केड़े परमेसर को गुस्सा को भी अंत वे जाई।