10 में वीं हरग-दुत का हातऊँ वाँ फोरी किताब ले लिदी अन वींने खईग्यो। वणीऊँ मारो मुण्डो तो हेंतऊँ वीं घणो मिटो वेग्यो, पण पेट में जळन वेगी।
तो पछे वणी माराऊँ क्यो के, थने परमेसर को संदेस हाराई मनकाँने, देसाने, हाराई राजा ने, हारी बोली बोलबावाळा मनकाँ ने हूणाणो पेड़ी।
तो मूँ हरग-दुत का नके ग्यो अन वणीऊँ क्यो, “मने वाँ फोरीक किताब दिदे।” वणी माराऊँ क्यो, “ले अन ईंने खई जा। अणीऊँ थाँरो मुण्डो हेंतऊँ भी घणो मिटो वेई, पण थाँरा पेट में जळन वे जाई।”