तद्याँ वणीस दाण दपराँ की टेम में जद्याँ माँ गेला में हाँ, तो हे राजा, हरगऊँ एक अस्यो उजितो उरतियो जिंको उजितो हूँरजऊँ भी हेलो हो, वो मारा अन मारा हण्डाळ्याँ के च्यारूँमेर वेग्यो।
परमेसर का बचन तो जीवता अन काम करबावाळा हे, वीं कस्यी तीकी तरवारऊँ भी तिका हे। अन परमेसर को बचन पराण, आत्मा, हन्ट अन गुदा ने अलग करन आर-पार वेवे हे अन मन की मनसा अन बच्यार ने जाँचे हे।
वणा हात तारा ने जिंने थें मारा जीमणा हात में देक्या हा अन वाँ हात होना का दिवा को भेद ओ हे के, वीं हात तारा हातई मण्डळ्याँ का हात दुताँ ने दिकावे अन वीं हात दिवा हातई मण्डळ्याँ ने दिकावे हे।
ईंका केड़े में हरगऊँ एक जोरावर हरग-दुत ने रेटे उतरतो देक्यो। वींके च्यारूँमेर वादळा हा, वींके मातो का नके मेघ धनुस हो। वींको मुण्डा सुरज की जस्यान चमकरियो हो अन वींका पग वादी का थाम्बा का जस्यान हा।
ईंका केड़े आकास में एक मोटो हेन्याण परगट व्यो, एक लुगई दिकई दिदी वणी सुरज ने धारण कर मेल्यो हो अन चाँद वींके पगा का रेटे हो। वींके माता पे मुकट हो, जिंका ऊपरे बारा तारा जड़या तका हा।
पापी ने मारबा का वाते वींके मुण्डाऊँ एक तीकी तरवारऊँ बारणे निकळरी ही। वो लोड़ा की लाटी की जोर पे वाँका पे राज करी अन सर्वसक्तिमान परमेसर की गुस्सा की सुल में वाँने अस्यान गूंदी जस्यान अंगूर ने कुण्ड में गुँदे।
“इपिसुस की मण्डली का दुताँ ने ओ संदेस लिक। जणी हातई तारा आपणाँ जीमणा हात में ले राक्या हे अन होना का हातई दिवा का बचमें में फरे हे वो अस्यान केवे हे के,
“सरदीस की मण्डली का दुताँ ने ओ लिक। जिंका नके परमेसर की हात आत्मा अन हात तारा हे वो अस्यान केवे हे, मूँ थाँका करम जाणूँ हूँ। थाँ जीवता तो केवावो हो, पण हाँची में मरिया तका हो।