ईंका केड़े में हरगऊँ एक जोरावर हरग-दुत ने रेटे उतरतो देक्यो। वींके च्यारूँमेर वादळा हा, वींके मातो का नके मेघ धनुस हो। वींको मुण्डा सुरज की जस्यान चमकरियो हो अन वींका पग वादी का थाम्बा का जस्यान हा।
अन मने हरगऊँ जोरकी अवाज हुणई दिदी वा अवाज वेता तका जरणा का अन बिजळी का कड़कवा का जस्यान की ही, ज्या अवाज में हूणी, वाँ मानो, घणा जणा रणभेरी बजाबावाळा का जस्यान की ही।
ईंका केड़े में पाछो घणा हाराई मनकाँ की भीड़ की अवाज हूणी ओ अस्यान लागरिया हो जस्यान के पाणी की जरणा वे कन जस्यान वादळा की गाजबा की अवाज वेवे। वीं मनक गारिया हा, “हलेलुय्या! आपणाँ परबू परमेसर की जे हो! काँके सर्वसक्तिमान परमेसर राज करे हे।