हपता का पेले दन जद्याँ परबू ने आद करबा का जीमणा वाते भेळा व्या तो पोलुस वाँऊँ बात-बच्यार करतो रियो अन दूजे दन जाणो हो, ईं वाते आदी रात तईं बाताँ करतो रियो।
ईं वाते मूँ थाँने बतारियो हूँ के, ज्यो कुई परमेसर की आत्मा का आड़ीऊँ बोलबावाळा कुई भी ओ ने केवे के, “ईसू ने हराप लागे” अन ने कुई बना पुवितर आत्माऊँ के सके के, “ईसूइस परबू हे।”
अन जद्याँ भी हपता को पेलो दन दितवार आवे थाँ थाँकी कमई मेंऊँ कईन कई थाँका घर में भेळा करता रेज्यो। जणीऊँ के, मूँ जद्याँ भी अऊँ थाँने दान भेळा करणो ने पड़े।
तद्याँ आत्मा मने कांकड़ में लेगी, वटे में एक लुगई ने लाल रंग का डरावणा जनावर पे बेटी तकी देकी, ओ जनावर परमेसर का विरोद में बोलबा सबदाऊँ भरियो हो। वींके हात माता अन दस हिंगड़ा हा।
वो दूत मने परमेसर की आत्मा में एक मोटा अन ऊसा मंगरा पे लेग्यो, अन वणी मने पुवितर नगर नुवा यरूसलेम का दरसण कराया। वो नगर परमेसर का आड़ीऊँ रेटे उतर रियो हो।