“ईं वाते मूँ थाँने केवूँ हूँ के, आपणाँ जीव का वाते यो होच मती करज्यो के, आपाँ कई खावा, कई पिबा, अन ने आपणी देह के वाते के, कई पेरा। कई जीव खाणाऊँ अन देह गाबाऊँ खास कोनी?
अन हरेक खेल में हरेक खिलाड़ी हरेक तरियाऊँ खुद ने काबू में राकणो पड़े हे, वीं तो ओ हारोई एक नास वेबावाला मुकट पाबा का वाते करे हे पण आपाँ तो वणी मुकट का वाते करा हा ज्यो कदी कमलाई कोयने।
अन थाँ भेळा वेणो मती छोड़ज्यो। जस्यान के नरई मनकाँने तो भेळो ने वेबा की आदत पड़गी हे। पण आपाँने तो एक दूजाँ ने हमजाणा हे। जस्यान के, थाँ जाणो हो अन देको भी हो के, वो परबू को दन नके आरियो, जणीऊँ थाँने तो ओरुँ भी ईंने करणो छावे।
अन वीं परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा मसी की आत्माऊँ यो भी जाणे हे के, मसी पे दुक आबावाळो हे अन वणी दुक का केड़े वींकी मेमा भी वेई। वाँ आत्मा वाँने बतावे हे के, ईं बाताँ कदी वेई अन तद्याँ ईं दनियाँ को कई वेई।