12 कमी-पेसी में अन भरपुरी में रेणो मूँ जाणूँ हूँ। यद्याँ मूँ भुको कन धाप्यो तको हूँ अन मारा नके हेलो कन कम हे, कस्यी भी जगाँ में अन कणी भी टेम में सबर राकबा को ओ भेद में हिक लिदो हे।
वाँकाणी वाँने क्यो, “ईं वाते नेमा ने हिकाबावाळा ज्यो परमेसर का राज का चेला बण्या हे, वीं वणी घरवाळा का जस्यान हे ज्यो भण्डारऊँ नई अन जूनी चिजाँ बारणे काड़े हे।”
ज्यो मनक मारो विरोद करे हे वीं केवे हे के, “वींका कागद तो जोरदार अन नरोगा रूपऊँ लिक्या तका वेवे हे पण जद्याँ वो हामे आवे हे तो वो देह में कमजोर अन बोलबा में भी अतरो खास ने दिके हे।”
में घणी मेनत किदी हे अन दुक का हाते जीवन जिदो हे। नरी दाण तो मूँ हूँ भी ने सक्यो। अन नरी दाण तो भुको-तरियो भी रियो हूँ, नरी दाण तो ठन्ड में बना गाबा के धूजतो रियो हूँ।
जद्याँ मूँ थाँका नके हो तो मने कमी वीं हे तद्याँ भी में थाँका पे कई बोज ने नाक्यो, काँके मारा भायाँ मकिदुनियाऊँ आन मारी वणी कमी ने पुरी किदी हे। में हरेक दाण खुद ने थाँका पे बोज बणाबाऊँ रोक्यो, अन आगे भी रोक्यो रेऊँ।