49 “जस्यान के एक बली ने लूण छाँटन वींने उजळो करी, वस्यानई हारई मनकाँ ने दुक की वादीऊँ उजळो करी।
“थाँ धरती का हाराई मनकाँ का वाते लूण हो, पण यद्याँ लूण को हवाद बगड़ जावे तो वो पाछो खारो ने बणायो जा सके हे। अन नेई वो कई कामे आवे हे पण वींने फेंक दिदो जावे, जणीऊँ वो मनकाँ का पगाँऊँ गुद्यो जावे।”
जटे किड़ो ने मरे, जटे वादी कदी ने बजे।
“लूण हव हे। पण, जदी लूण आपणो खार छोड़ देवे, तो वींने पाछो खारो कस्यान बणा सको? “खुद में उजळो करबावाळो लूण राको अन एक-दूजाऊँ सन्तोकऊँ रेवो।”