वींका हाताँ में वींको हुपड़ो हे जणीऊँ वो धानऊँ हुंकला ने अलग करी अन आपणाँ खेत मेंऊँ होजा किदो तका गव भेळा करन, कोठा में भरी अन हुंकला ने वीं वादी में बाळी, ज्याँ कदी ने बजे हे।”
पण मूँ थाँकाऊँ यो केऊँ हूँ के, ज्यो कुई आपणाँ भई पे रीस करी, वो सबा में दण्ड के जोगो मान्यो जाई। ज्यो कुई आपणाँ भई ने बेजत करी वींने मोटी सबा में दण्ड के जोगो मान्यो जाई। ज्यो कुई आपणाँ भई ने हराप देवे हे, वो नरक की वादी के जोगो वेई।
अस्यान जद्याँ वींको दास पाछो आन वींने हारी बाताँ बतई तो ईंपे घर का मालिक ने घणो गुस्सो आयो अन वणी आपणाँ दासऊँ क्यो, ‘फटा-फट जा अन नगर की हरेक गळ्याँ मूँ गरीबा, लंगड़ा, लकवा मारिया तका अन आंदा मनकाँ ने अटे बला ला।’
पण मूँ आपणी देह ने घणी मेनत करान खुद का क्या में राकूँ हूँ, ताँके कटे अस्यान ने वे जावे के, दूजाँ का उपदेस देयाँ केड़े मूँ परमेसर का आड़ीऊँ बेकार मान्यो जाऊँ।
ईं वाते जद्याँ गवा की एक मोटी भीड़ आपणाँ च्यारूँमेर हे, तो आवो, आड़ी देबावाळी हारी चिजाँ ने अन उलजाबा पाप ने छेटी करा अन ज्या दोड़ आपाँने दोड़णी हे, वींने सेण करता तका दोड़ता रा।