जदी पतरस बोल्यो अन ईसुऊँ क्यो, “हो गरू, आ बात घणी रुपाळी हे के, माँ हारई अटे हा। माने तीन टापाँ बणाबा दे। एक थाँके वाते, एक मूसा के वाते अन एक एलिया का वाते।”
पसे ईसू वाँकाऊँ क्यो, “ईं मारी वीं बाताँ हे, जद्याँ मूँ थाँके हाते रेते तके थाँकाऊँ क्यो हो। जतरी बाताँ मूसा के नेमा में अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन भजनाँ की किताब में मारा बारा में लिकी तकी हे, वीं हारी पुरी वेणीईस हे।”
वणा वाँकाऊँ क्यो, “कुई तो थाँने यहुन्नो बतिस्मा देबावाळो केवे हे तो कुई थाँने एलिया अन कुई तो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा मेंऊँ कुई पुराणा जी उट्यो हे।”
तद्याँ मूँ वींकी जे-जेकार करतो तको वीं हरग-दुत का आगे धोक लाग्यो। पण वणी माराऊँ क्यो, “अस्यान मती करे! काँके मूँ तो थाँरो अन थाँरी हण्डाळ्याँ का हाते परमेसर को दास हूँ। जणापे ईसू मसी की गवई देबा की जिमेदारी हे। थूँ परमेसर के धोक लाग, काँके ईसू मसी की गवई आगेवाणी की आत्मा हे।”