35 तो वो बेटग्यो अन बारई चेला ने आपणाँ नके बलाया अन वाँने क्यो, “जदी कुई हारऊँ मोटो बणणो छावे, तो वींने हारऊँ फोरो अन दास बणन रेणो पेड़ी।”
ज्यो थाँका मेंऊँ मोटो वेवे, वो थाँको दास वणे।
अन पछे वीं एक फोराक बाळक ने लेन चेला का हामे ऊबो किदो अन छोरा ने आपणाँ खोळा में लेन क्यो,
मूँ थाँकाऊँ हाँची केवूँ हूँ के, परमेसर की नजराँ में वो फरीसी ने पण लगान लेबावाळो धरमी ठेरायो ग्यो अन घरे ग्यो, काँके ज्यो कूण आपणाँ खुद ने मोटो मानी, वो फोरो किदो जाई अन जी आपणाँ खुद ने फोरो मानी, वो मोटो बणायो जाई।”
पण, थाँ अस्या ने हो पण, ज्यो थाँकामें मोटो हे, वींने हाराऊँ फोरो बणणो छावे अन ज्यो हाकम हे, वींने नोकर की तरिया वेणो छावे।
पण परमेसर आपापे घणी दया किदी हे, ईं वाते सास्तर में लिक्यो तको हे के, “परमेसर मेपणा करबावाळा का विरोद में हे अन हुदा-हादा मनकाँ पे दया करे हे।”