33 पछे वी कफरनूम में आया। ईसू जदी घर में हा, वणा चेलाऊँ पूँछ्यो, “गेला में थें कस्यी बात पे बात-बच्यार कररिया हा?”
जद्याँ ईसू अन वींका चेला कफरनूम पूग्या, तो मन्दर का हाँसल लेबावाळा पतरस का नके आन पूँछ्यो, “कई, थाँको गरू मन्दर को हाँसल ने देवे हे?”
फटाकऊँ ईसू मन में आ बात जाणग्या के, वे लोग मन में कई होचरया हे अन वाँकाणी वाँने क्यो, “थाँ मन में अस्यी बाताँ काँ होचरया हो?
अन यहूदो इसकरियोती, जणी आगे ईसू ने धोकाऊँ पकड़ाया हा।
अन ईसू ने ईं बात की कई जरुरत ने हे के, कुई वाँने आन लोगाँ का बारा में बतावे, काँके लोगाँ का मना में कई चालरियो हे, वींने वो हव तरियाऊँ जाणतो हो।
ईसू तीजी दाण क्यो, “ए समोन, यहुन्ना का बेटा, कई थूँ माराऊँ परेम राके हे?” तो पतरस दकी वेग्यो के, वाँकाणी वींने तीजी दाण अस्यान काँ क्यो, “कई थूँ माराऊँ परेम राके हे?” अन वाँने क्यो, “ओ परबू, थाँ तो सब जाणो हो। थाँ ओ भी जाणो हो के, मूँ थाँकाऊँ परेम करूँ हूँ।” ईसू वींने क्यो, “मारा गारा ने चरा।
दनियाँ की कस्यी भी चीज परमेसरऊँ हपी तकी ने हे, वाँकी आक्याँ का हामे हारी चिजाँ खुली अन बना परदा की हे। वाँका हामे आपाँने आपणो लेको देणो हे।
मूँ वींका बाळकाँ ने मार देऊँ, तो हारी मण्डली ओ जाण जाई के, मूँ मन अन बदी जाणबावाळो हूँ। अन मूँ थाँ हाराई ने थाँका कामाँ के जस्यान बदलो देऊँ।