30 पछे वाँकाणी वटूऊँ पराग्या, अन जद्याँ गलील का हिमाड़ा में वेन जारिया हा। वीं ने छारिया हा के, ईंकी किंने भी नंगे पड़े।
ईं बात पे ईसू वाँने क्यो, “असी हुगली आत्मा बना परातना किदा तका बारणे ने निकळ सके।”
वो अटे कोयने हे, पण वो पाछो जीवतो वेग्यो हे। आद करो के, वणी थाँने गलील में कई क्यो के,