22 “हुगली आत्मा ईंने कई दाण मारबा वाते कदी तो वादी में फेंक दे अन कदी पाणी में। यद्याँ, थूँ कर सके, तो माकाँ पे बाळ करन भलो कर।”
ईसू तरत हात लाम्बो करन वींने पकड़ लिदो अन वींकाऊँ क्यो, “ये कम विस्वास करबावाळा, थाँ काँ भेंम किदो?”
“हो परबू, मारा पूत पे दया कर! काँके वींने मर्गी को जोलो आवे हे, अन वो घणो दुक भोगरियो हे अन वो नरी दाण वादी में अन नरी दाण पाणी में पड़ जावे हे।
ईसू ने वाँका पे दया अई अन वाँकी आक्याँ पे हात अड़ायो। वीं तरत देकबा लागा अन ईसू का पाच्छे चालबा लागा।
अन देको, वटे एक कोड़यो मनक वाँका नके आन धोग देन क्यो, “हो परबू मूँ जाणूँ हूँ के, थाँ मारो कोड़ मटा सको हो।”
जद्याँ वो घर में पूग्यो, तो वीं आन्दा वाँका नके आया अन ईसू वाँकाऊँ क्यो, “कई थाँने विस्वास हे के, मूँ यो कर सकूँ हूँ?” वाँकाणी क्यो, “हाँ, मालिक।”
पण, ईसू वींने आपणी लारे चालबा की आग्या ने दिदी अन क्यो, “आपणे घरे परोजा अन आपणाँ घर का ने बताज्ये के मालिक थाँरा लारे कई-कई काम किदा अन कस्यान दया किदी।”
जदी ईसू वींका बापू ने पूँछ्यो, “यो अस्यान कतराक दनाऊँ हे?” बापू जबाव दिदो, “यो बाळपणाऊँ अस्यान हे।”
ईसू वाँने क्यो, “थाँकाणी अस्यान काँ केरिया हो, ‘थाँ कर सको हो तो करो।’ विस्वास करबावाळा मनक के वाते हारोई वे सके हे।”
जद्याँ परबू वींने देकी तो वाँने दया आगी अन वणा क्यो, “रो मती।”