37 मनक आपणो जीव पावा का वाते कई ने दे सके हे।
जदी कुई मनक आपणी जीव ने खोन आकी दनियाँ ने पा लेवे, तो वींको कई फायदो?
जद्याँ कुई मारा अन मारी हिकऊँ, कुकरमी अन पापी जमानाऊँ हरमाई तो मूँ ज्यो मनक को पूत(ईसू) हूँ, जद्याँ पुवितर हरग-दुताँ की लारे परमेसर की मेमा में आऊँ, तो वींका वाते हरमाऊँ।”