25 जदी ईसू दूजी दाण वींकी आक्याँ पे हात मेल्यो, वणी आपणी आक्याँ पुरी तरियाऊँ खोल दिदी। वींने देकबा की तागत पाच्छी मलगी अन वो एकदम सई देकबा लागो।
ज्यो मारी बाताँ हुणे अन हमजे हे, परमेसर वींने ओरी घणी हमज देई पण ज्यो मारी बाताँने कोयने हुणे अन ने हमजे हे वो ज्यो कई भी हमजे हे वींने भी भुल जाई।
ऊपरे देकन वणी क्यो, “मने मनक दिकरिया हे। वी च्यारूँमेर रूँकड़ा के जस्यान चालता तका दिकरिया हे।”
पछे ईसू वींने घरे खन्दाता तका क्यो, ईं गाम में जाज्ये मती।
जद्याँ वे लोग-बाग ईसू ने हरग में जाता तका देकरिया हा, वीं दाणइस वटे धोळा गाबा पेरिया तका दो जणा वाँका बचमें परगट वेग्या।
वो मनक पोलुस ने बाताँ करतो तको हुणरियो हो, पोलुस वींका आड़ी देक्यो अन होच्यो के, ईंमें हव वेबा को विस्वास हे।
अन मने ईं बात को विस्वास हे के, जीं परमेसर थाँकामें हव काम सरू किदो हे, वींइस वींने ईसू मसी का पाच्छा आबा का दन तईं पूरो करी।
पण थाँ तो अस्या मनक कोयने हो, थाँ तो परमेसर का थरप्या तका मनक हो, थाँ रजवाड़ी याजकाँ की टोळी अन पुवितर परवार का हो, परमेसर थाँने अंदारा का राज मेंऊँ अचम्बावाळा उजिता में लाया हे, जणीऊँ थाँ परबू का अचम्बावाळा काम का बारा में बता सको।
पण थाँ आपणाँ परमेसर अन छुटकारो देबावाळा ईसू मसी की दया अन ग्यान में आगे बड़ता जावो। वींकी मेमा अबेऊँ लेन जुग-जुग तईं वेती रेवे। आमीन।