ईं वाते, “‘वीं देके अन देकताई रेई, पण वाँने कई हूजे कोयने। वीं हुणे अन हुणताई रेई, पण वीं कई हमजे कोयने। यद्याँ वीं अस्यान हमजता, तो परमेसर का नके आता अन वो वाँने माप करतो।’”
“परमेसर वाँकी आक्याँ ने आंदी अन वाँका मन कल्डा कर दिदा हे, ताँके वीं आक्याँऊँ ने देक सके अन मनऊँ ने हमजे सके, कदी अस्यान ने वे के, वी मारा आड़ी फरे अन मूँ वाँने हव करूँ।”
सास्तर में लिक्यो तको हे, “परमेसर वाँने बना चेता की आत्मा दिदी। ‘अस्यान की आक्याँ दिदी ज्याँने दिके कोयने। अन अस्यान का कान्दड़ा दिदो ज्यो हुण ने सके।’ अन आ दसा अबाणू तईं बणी तकी हे।”