16 वाँकाणी होच-बच्यार करन केबा लागा के, आपणाँ नके तो रोटी कोयने हे।
ईसू वाँने चेतावणी देन क्यो, “फरीसियाँ अन हेरोदेस का हाज्याऊँ बंचन रिज्यो।”
ईसू जाणतो हो के, वी कई केरिया हे? ईं वाते यो पूँछ्यो, “रोटी ने हे, ओ थें काँ होच-बच्यार कररिया हो? कई, थें अबाणू भी ने हमज्यो कई, थाँकामें अकल कोयने?
जद्याँ वीं एक-दूजाऊँ बच्यार करन केबा लागा के, “यद्याँ आपाँ केवाँ के, ‘हरग का आड़ीऊँ हे’, ‘तो वो केई, पसे थाँ वींपे विस्वास का ने किदो?’
एक दाण ईसू का चेला का बंच में अणी बात में होड़ा-होड़ वेबा लागी के, “आपाँ मूँ मोटो कूण हे?”