4 अन वीं बजारऊँ आन जतरे हापड़ ने लेता, वतरे वीं खाणो ने खाता हा। अस्यानीस नरी ओर भी अस्यी रीतियाँ ही, जिंको पालण करता हा, जस्यान के लोट्या, कळस अन ताँबा का ठामड़ा ने माँजणा अन धोणा।
“हो कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थें तो प्याला अन थाळयाँ ने उपरे-उपरेऊँ तो मांजो हो पण वीं मयनेऊँ कपट अन हवारतऊँ भरी तकी हे।
जद्याँ पिलातुस देक्यो के, कई फायदो कोयने पण ईंका हामे ओरी हाका-हूक वेबा लागी हे, तो वाँकाणी हतेळी में पाणी लेन भीड़ का हामे आपणाँ हात धोया अन क्यो, “मूँ ईं धरमी का लुईऊँ बना दोस को हूँ, थाँईस जाणो।”
विदी-विदान का जस्यान यहूदी मनकाँ के हापड़बा-धुपड़बा की रीत ही। ईं वाते वटे पाणी भरबा का भाटा का छे कळा पड़्या तका हाँ, वणा हरेक कळा में लगभग हो लीटर तईं पाणी भरियो जा सकतो हो।
अन यद्याँ आपाँ केवा के, आपाँ वींके हाते उजिता में हा अन वींके जस्यानीस उजिता में चाला हा, तो आपाँ एक विस्वासी का जस्यान एक-दूजाऊँ मलन रेवा हा अन परमेसर का बेटा ईसू मसी को खून आपणाँ हाराई पाप ने धो देवे हे।