पछे ईसू वाँ जगाँ छोड़ दिदी अन सूर सेर के अड़े-भड़े का परदेस में निकळग्यो। वटे वो एक घर में ग्यो अन वो ने छातो हो के, किंने भी वींके आबा को पतो चाले, पण वो खुद ने हपा ने सक्यो।
अस्यानीस वीं मनक जी थाँकी मण्डळ्याँ में आग्या हे, जीं हूँगला काम करता रेवे हे अन आपणी देह ने बगाड़रिया हे अन केवे हे अस्यान करबा का वाते परमेसर माने हपना में क्यो हे। वीं परमेसर की तागत ने बेकार हमजे अन हरग-दुताँ का विरोद में बोले हे।