19 काँके वाँ चीज वींका मन में ने जावे, पेट में जावे अन पछे पेटऊँ बारणे निकळ जावे हे।” अस्यान केन वणा खाबा की हंगळी चिजाँ ने सुद बतई।
कई थें ने जाणो हो? मुण्डाऊँ खई तकी चिजाँ मन में ने जावे, पेट में जावे अन पछे पेटऊँ बारणे निकळ जावे हे।
तद्याँ वणी वाँने क्यो “कई, थें भी दूजाँ के जस्यान हमजदार ने हो? कई, थाँ ने हमजो के, कस्यी भी चीज ज्यो मनक में बारणेऊँ मयने जावे, वा वींने ने वटाळे।
पण, हा, थाँ खुद का मन ने साप करन आपणाँ नके ज्यो भी हे, वो दान कर देवो, तो देकज्यो, थाँकी हारी चिजाँ थाँका वाते सुद वे जाई।”
तो पाच्छी वींने दूजी दाण अवाज हुणई, “जो भी चिजाँ ने परमेसर सुद क्यो हे, वींने असुद ने केणी।”
तो आकासऊँ दूजी दाण पाच्छी अवाज अई अन क्यो, “जो भी चिजाँ ने परमेसर सुद क्यो हे, वींने खराब ने हमज।”
क्यो जावे हे के, “खाणो पेट का वाते अन पेट खाणा का वाते हे।” पण परमेसर अणा दुयाँ ने खतम कर देई अन देह कुकरम का वाते ने हे, पण परबू की सेवा का वाते हे अन देह का वाते परबू वेवस्ता करे हे।
ईं वाते खाबा-पिबा अन तेवार अन नवो चाँद अन सबद का दनाँ में कुई थाँको फेसलो ने करे।