17 पछे जद्याँ भीड़ ने छोड़न वो घर मयने ग्यो, तो वींका चेला वींने ईं केणी का बारा में पूँछ्यो।
चेला ईसू का नके आया अन वणाऊँ क्यो, “थाँ लोगाऊँ केणी में बाताँ काँ करो हो?”
तद्याँ ईसू भीड़ ने छोड़न घरे पराग्या अन वाँका चेला वाँका नके आन क्यो, “चारा की केणी को अरत माँने हमजा।”
ओ हुणन पतरस वाँकाऊँ क्यो, “वणी असुद बात को अरत माने हमजा दो।”
थोड़ाक दनाँ पछे ईसू कफरनूम आया, अन वटे आ बात फेलगी के, वो घरे हे।
तद्याँ वीं घरे पराग्या, जटे एक दाण पाच्छी अतरी हेली भीड़ अगेटी वेगी ही के, ईसू अन वाँका चेला खाणो तक ने खा सक्या।
पछे जद्याँ वीं एकला हा, तो वींका बाराई चेला की लारे दूजाँ ज्यो अड़े-भड़े लोग-बाग वाँका नके आया। वाँ हंगळा जणा वींने केणी का बारा में पूँछ्यो।
बनाई केणी काम में लिदा तका वीं वाँने कई भी ने हुणाता हा, पण जद्याँ हाराई चेला का लारे वीं एकला वेता, तद्याँ हारी बाताँ को मतलब वाँने हमजाता हा।
जिंके हुणबा का वाते कान्दड़ा हे, वीं हुणे।
तद्याँ वणी वाँने क्यो “कई, थें भी दूजाँ के जस्यान हमजदार ने हो? कई, थाँ ने हमजो के, कस्यी भी चीज ज्यो मनक में बारणेऊँ मयने जावे, वा वींने ने वटाळे।
ईंका केड़े ईसू एक घरे पराग्या। जद्याँ वीं एकला हा, वीं दाण वाँका चेला वाँने पूँछ्यो, “में हारई जणा ईं हुगली आत्माने काँ ने काड़ सक्या?”