14 पछे ईसू भीड़ ने आपणाँ भड़े पाच्छी बलई अन क्यो, “थाँ हारई मारी बात हुणो अन हमज्यो।
तद्याँ ईसू लोग-बागाँ ने आपणाँ नके बलान वाँकाऊँ क्यो, “हुणो अन हमज्यो।
ईं तरियाऊँ थाँ आपणाँ बणाया तका रीति-रिवाजाऊँ परमेसर का बचनाँ ने टाळ दो हो, अस्यानई थाँ नरी बाताँ करता रेवो हो।”
अस्यी कुई चिजाँ कोयने हे, ज्यो बारणेऊँ मनक का मयने जान वींने ने वटाळे, पण ज्यो मुण्डाऊँ निकळबावाळा बुरा सबदइस वींने वटाळ देवे।”
पसे जद्याँ हजारो मनक भेळा वेग्या हा अन अटा तईं के, मनक एक-दूँजा के ऊपरे पड़रिया हा, तद्याँ ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो के, “फरीसियाँ का कपट रूपी हाज्याऊँ बंचन रेवो।
फिलिपुस वींका दयने दोड़्यो अन वींने परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा यसाया की किताब भणतो तको हुण्यो अन पूँछ्यो, “थूँ जो भी भणरियो हे, वींने हमजे हे कई?”