13 ईं तरियाऊँ थाँ आपणाँ बणाया तका रीति-रिवाजाऊँ परमेसर का बचनाँ ने टाळ दो हो, अस्यानई थाँ नरी बाताँ करता रेवो हो।”
ईं बात की वजेऊँ वणी मनक ने आपणाँ बई-बापू की सेवा करबा की जरुरत ने हे। अस्यान करन थाँ आपणाँ रिति-रिवाजऊँ परमेसर की आग्या ने टाळ देवो हो।
अस्यान केन थाँ वींने आपणाँ बई-बापू की सेवा-चाकरी करबा ने देवो हो।
पछे ईसू भीड़ ने आपणाँ भड़े पाच्छी बलई अन क्यो, “थाँ हारई मारी बात हुणो अन हमज्यो।
काँके फरीसी अन हारई यहूदी लोग आपणाँ पूरबजाँ का रिति-रिवाज का नेमा के जस्यान हात हव तरियाऊँ ने धो लेता, वतरे खाणो ने खाता हा।
ईं वाते वाँ फरीसियाँ अन मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा ईसुऊँ पूँछ्यो, “थाँका चेला पूरबजाँ का नेमा को पालण काँ ने करे हे अन बना हात धोया खाणो काँ खा लेवे हे?”
पछे ईसू वाँने क्यो, “थाँ आपणी रीतियाँ ने मनाबा का वाते परमेसर का आदेसा ने टाळबा में घणा हूँस्यार हो।
अन आपणाँ यहूदी जाती भायाँऊँ ज्यो मारा जस्या हाँ वाँकाऊँ मूँ आगे हो, काँके मूँ आपणाँ बड़ाबा का रिति-रिवाज ने घणा मानतो हो।
नसो करणो, मन मरजी करणी, हूँगला काम अन ओरी कई काम हे। जणी काँ बारा में पेल्याँई थाँने क्यो हो के, अस्या काम करबावाळा परमेसर के राज का वारिस ने वेई।
अन अणाने आग्या दे के, ईं यहूदियाँ की मनगड़त बाताँ पे अन वाँ मनकाँ की बाताँ पे ध्यान ने देवे, जीं हाँचऊँ भटकया तका हे।