हाराई सिरिया देस में वाँको हव हमच्यार फेलग्यो। ईं वाते लोग अस्या हाराई मनकाँ ने ज्यो तरे-तरे की मांदकीऊँ माँदा हा, जणामें हुगळी-आत्मा, जाँने मरगी का जोला आता हा, अन जीं लकवा का माँदा हाँ, वाँने ईसू का नके लाया अन ईसू वाँने हव किदा।
वो गाम, सेर अन वस्ती में कटे भी जातो हो, तो लोग-बाग आपणाँ माँदा मनकाँ ने बजार का चोगान में राक देता अन वींऊँ परातना करता तका केता के, वो आपणाँ गाबा को एक कोर भी वाँके अड़ाबा दे। तो ज्यो भी वीं कोर के अड़ता, वे हंगळा हव वे जाता।
थरप्या तका का कामाँ की वजेऊँ लोग-बाग माँदा मनकाँ ने गेला में लान खुतलियाँ पे हुवाण देता, ताँके जद्याँ भी पतरस अटने निकळे, तो कमुकम वींकी छाया आ माँदा मनकाँ पे पड़ जावे।