53 समन्द पार करबा केड़े, वीं गन्नेसरत नगर में पूग्या अन वटे नाव ने बांद दिदी।
जद्याँ वे नावऊँ उतरन बारणे आया, तद्याँ लोग-बाग ईसू ने तरत ओळक लिदा हाँ।
एक दाण ईसू गन्नेसरत का समन्द का कनारे ऊबा तका हा अन लोगाँ की भीड़ परमेसर का बचन हुणाबा का वाते वाँके च्यारूँमेर ऊबी तकी ही।