50 काँके वाँ हंगळा जणा वींने देकन दरपग्या हा, तो जट ईसू वाँने बतळान क्यो, “हिम्मत राको, दरपो मती, यो तो मूँ हूँ।”
तद्याँ ईसू तरत वाँकाऊँ क्यो, “हिम्मत राको! मूँ हूँ, दरपो मती!”
लोग-बाग एक माँदा ने माचा पे हुवाण वाँके नके लाया, ईसू वाँका विस्वास ने देकन वणी लकवा का माँदा मनकऊँ क्यो, “बाळक हिम्मत राक, थाँरा पाप माप वेग्या हे।”
तो वाँ चेला ईसू ने पाणी पे चालता देकन होच्यो के, यो कुई भूत हे। तो वाँ हंगळाईं हाको कर दिदो।