49 तो वाँ चेला ईसू ने पाणी पे चालता देकन होच्यो के, यो कुई भूत हे। तो वाँ हंगळाईं हाको कर दिदो।
वे देक्यो के, चेलाऊँ नाव ने आगे डगाणो घणो भारी पड़रियो हे, काँके वइरो वाँके हामे चालरियो हो। तो भाग-फाट्याँ के लगे-भगे वो समन्द पे चालतो तको वाँका नके आयो अन वाँकाऊँ आगे निकलणो छातो हो,
काँके वाँ हंगळा जणा वींने देकन दरपग्या हा, तो जट ईसू वाँने बतळान क्यो, “हिम्मत राको, दरपो मती, यो तो मूँ हूँ।”
पण, वीं घबराग्या अन दरपग्या के, “आपाँ तो कस्याई भूत ने देकरिया हा।”