39 पछे वणा चेला ने आग्या दिदी, “लिली-लिली चुंटी पे अणा हंगळा ने पंगताँ में बेठाण दो।”
अन वाँकाणी लोगाँ ने जमीं पे पंगतऊँ बेटबा को हुकम दिदो।
ईसू वाँने क्यो, “जावो अन देको, थाँका नके कतरी रोट्याँ हे?” वणा पतो करन वाँकाऊँ क्यो, “आपणाँ नके पाँच रोट्याँ अन दो माछळ्याँ हे।”
तद्याँ वे हंगळा हो-हो अन पचा-पचा की पंगताँ में बेटग्या।
वटे लगे-भगे खाली मनक मनकईस पाँच हजार हा। जद्याँ ईसू आपणाँ चेलाऊँ क्यो, “वाँने पचास-पचास की पंगताँ में बेवाड़ दो।”
ईसू जवाब दिदो, “लोगाँ ने बेवाड़ी दो।” वाँ जगाँ घणी चुंटी हो। वटे मनक मनकईस लगे-भगे पाँचेक हजार हा। वीं वटे बेटग्या।
काँके परमेसर गड़बड़ी करबावाळा परमेसर कोयने पण सान्ती देबावाळा हे, जस्यान परमेसर का मनकाँ की मण्डळ्याँ में हे,
पण ईं हारी बाताँ हव तरीकाऊँ एक का केड़े एक वेणी छावे।