35 जद्याँ हाँज पड़गी, तद्याँ वाँका चेला वाँका नके आया अन बोल्या, “आ एक काकड़ की जगाँ हे अन अन्दारो भी घणो वेग्यो हे।
जद्याँ ईसू ओ हुण्यो, तो वो नाव पे चड़न वटूँ कणी हून्नी जगाँ में परोग्यो। लोगाँ ओ हुणन समन्द का कनारे-कनारे वाँका पाच्छे वेग्या।
जद्याँ ईसू नावऊँ बारणे निकळ्या, तो वाँ घणी भीड़ देकी, तद्याँ वाँका पे घणी दया अई। काँके वे हंगळा गारा का जस्यान हा, ज्याँको कुई गवाळ्यो ने हो। तो ईसू वाँने नरी बाताँ हिकाबा लागा।
मनकाँ ने अड़े-भड़े का गामाँ अन वस्तायाँ में जाबा दो, ताँके वे आपणाँ वाते खाबा ने कई चीज मोल ले सके।”