वो एलिया के जस्यान की आत्मा अन तागत में वेन परबू का आगे-आगे चाली। मनकाँ को मन वाँके छोरा-छोरी का आड़ी फेर देई, अन परमेसर की आग्या ने ने मानबावाळा ने धारमिकता की अकल का आड़ी लेजाई। अन मनकाँ ने परबू का वाते त्यार करी।”
ईंपे वीं हाराई मनक दरपग्या अन परमेसर की जे-जेकार करबा लागा के, “आपणाँ बसमें एक मोटा परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो परगट व्यो हे।” अन केबा लागा के, “परमेसर आपणाँ लोगाँ की मदत करबा ने आग्या हे।”
यो देकन, वो फरीसी जणी वींने बलायो हो, आपणाँ मन में होचबा लागो, “यद्याँ यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो वेतो तो जाण लेतो के, वाँ कस्यी अन कूण लुगई हे? के, वा तो पापी लुगई हे।”
वणा वाँकाऊँ क्यो, “कुई तो थाँने यहुन्नो बतिस्मा देबावाळो केवे हे तो कुई थाँने एलिया अन कुई तो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा मेंऊँ कुई पुराणा जी उट्यो हे।”