10 अन अस्यान भी क्यो, “जीं घर में थाँने मान मले वटे अतरीक देर तईं रको, जतरी देर तईं वाँ जगाँ ने छोड़ो।
जद्याँ कसी जगाँ का मनक थाँने ने माने अन थाँकी बात ने हुणे, तो थाँ वा जगाँ छोड़ दिज्यो अन आपणाँ पगाँ को धूळो वटेई जाटक दिज्यो, तद्याँ या बात वाँका वाते चेतावणी रेई के, वाँका नास को कारण वीं खुदईस हे।”
थें पगरख्याँ तो पेरज्यो, पण दो-दो कुरता हाते मती लेज्यो।”
कस्या भी गाम में जाया केड़े थाँकी आवभगत जणी घर में पेली वेवे, वणी घर में जतरे पाच्छा वणी गामऊँ जावो वतरे वटेईस रेज्यो।
जदी वा लुगई अन वींका परवारवाळा हंगळा हाते बतिस्मो लिदो तो वणी माँकी मनवार किदी के, “यद्याँ थाँ मने परमेसर में विस्वास करबावाळी लुगई हमजो, तो अटूँ मारे हाते चालो अन मारे घरे रो।” जद्याँ तईं माँ राजी ने व्या, तद्याँ तईं वा मनवार करतिइस री।