1 पछे ईसू वीं जगाँ ने छोड़न आपणाँ नगर में पराग्या। वींका चेला भी वींके हाते हा।
बीज वाती दाण थोड़ाक बीज गेला के कनारे पड़्या अन सरकल्या वाँने चगगी।
अन नासरत नाम का नगर में घर बणान रेवा लागग्यो, अस्यान वो बचन पूरो व्यो, ज्यो नरई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा क्यो हो, “वो नासरी नामऊँ जाण्यो जई।”
तद्याँ ईसू वाँने क्यो, “कस्या भी परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा ने वींको देस हगा-होई अन परवार ने छोड़न, दूजाँ कुई वींको मान ने गटावे हे।”