8 वणी ओ ईं वाते क्यो, काँके ईसू वींने क्यो हो, “ए हुगली आत्मा, ईं मनकऊँ बारणे निकळजा।”
तो ईसू वींने तापड़न क्यो, “छानी रे अन ईंमूँ बारणे निकळजा।”
अन जोरऊँ हाको करन बोल्यो, “सबाऊँ मोटा परमेसर का पूत, हे ईसू, थूँ मारा नकूँ कई छावे हे? थने परमेसर की होगन हे, थूँ मने मती हता।”
तद्याँ ईसू वींने पूँछ्यो, “थारो नाम कई हे?” वणी क्यो, “मारो नाम टोळी हे, काँके माँ नरई हा।”
वा नरई दनाँ तईं अस्यानीस करती री, जद्याँ पोलुस घणो परेसान व्यो, अन पाछो फरन वीं हुगली आत्माऊँ क्यो “मूँ थने ईसू मसी का नामऊँ आग्या दूँ हूँ के, अणी मूँ निकळजा” अन वा वणीस दाण वींमूँ बारणे निकळगी।