6 वणी जद्याँ छेटीऊँ ईसू ने देक्या, तो वो वाँका आड़ी दोड़्यो अन वाँके पगाँ पड़ग्यो।
वो रात-दन कबराँ की जगाँ में अन मंगरा में हाको करतो अन खुद के भाटाऊँ चिरा पाड़न खुद ने लोया-जाळ करतो।
अन जोरऊँ हाको करन बोल्यो, “सबाऊँ मोटा परमेसर का पूत, हे ईसू, थूँ मारा नकूँ कई छावे हे? थने परमेसर की होगन हे, थूँ मने मती हता।”
हुगली आत्मा घणा जणा मेंऊँ ओ हाँको करती तकी यु बोलती तकी निकळी, “थूँ परमेसर का पूत हे।” पण ईसू वाँने तापड़न वाँने बोलबा ने दिदी, काँके वीं जाणती ही के, “ईसूइस मसी हे।”
वाँ पोलुस अन माँके पाच्छे आन हाको करबा लागी के, “ईं मनक परम-परदान परमेसर का भगत हे, जो थाँने बंचाबावाळो गेलो बतावे हे।”
अन थूँ विस्वास करे हे के, एकीस परमेसर हे, तो ओ हव हे। पण ओ विस्वास तो हुगली आत्मा भी करे, अन वींके आगे धूजे हे।