33 पछे, वा लुगई यो जाणती तकी के वींने कई व्यो हे, ईं वाते वाँ दरपऊँ धूजती तकी ईसू का हामे अई अन वींका पगाँ पड़न हंगळी बात सई-सई के दिदी।
पण, वीं हाराई, घणा दरपग्या हा अन वाँ एक-दूँजा ने क्यो, “अरे, यो कूण हे? जिंकी डूँज अन लेराँ भी आग्या माने हे।”
पण, वो च्यारूँमेर देकतो ईं रेग्यो के, अस्यान कूण किदो?
ईसू वींने क्यो, “हे बेटी, थाँरा विस्वासऊँ थूँ हव वेगी हे। सान्तीऊँ जा, थारी मांदकी छेटी वेगी हे।”
अन जकरियो वींने देकन दरपन घबराग्यो। अन वींका में कल्ड़ी दरप भरईगी।
ओ हामळन वा घबरागी अन होचबा लागी के, “ईंको मतलब कई हे?”
जद्याँ वणी लगई देक्यो के, मूँ भाग तो ने सकूँ हूँ, तो वाँ धूजती तकी ईसू का हामे अई अन वाँके पगाँ में पड़न हाराई लोगाँ का हामे बतायो के, में किंका वाते अणाके हात अड़ायो अन कस्यान फटाकऊँ हव वेगी।