18 अन जद्याँ ईसू नाव में चड़रिया हा, तो जीं मनक में हुगली आत्मा धस्यी ही, वो अरज करबा लागो, “मने भी थारी लारे ले चाल।”
हाराई सिरिया देस में वाँको हव हमच्यार फेलग्यो। ईं वाते लोग अस्या हाराई मनकाँ ने ज्यो तरे-तरे की मांदकीऊँ माँदा हा, जणामें हुगळी-आत्मा, जाँने मरगी का जोला आता हा, अन जीं लकवा का माँदा हाँ, वाँने ईसू का नके लाया अन ईसू वाँने हव किदा।
वीं ईसू का नके ग्या अन देक्यो के, वो मनक, जिंमें नरी हुगली आत्मा रेती ही, वींने गाबा पेरियो तको अन पुरी तरियाऊँ ठीक वेन वटे बेटो तको देकन वीं दरपग्या हा।
अन जीं देकबावाळा हा, वाँकाणी लोगाँ ने हुगली आत्मा धस्यी तकी मनक का अन गडूरा को हाल के हुणायो।
तद्याँ वाँ मनकाँ ईसुऊँ हाता-जोड़ी करन क्यो, “माकाँ अटूँ परोजा।”
अन जोरऊँ हाको करन बोल्यो, “सबाऊँ मोटा परमेसर का पूत, हे ईसू, थूँ मारा नकूँ कई छावे हे? थने परमेसर की होगन हे, थूँ मने मती हता।”