“गण्डकड़ा का हामे पुवितर चिजाँ मती फेको अन ने हूँरा का हामे मोती वकेरो। काँके थाँ अस्यान करो तो वीं हूँर मोती ने आपणाँ पगाँ में गूंदी अन गण्डकड़ा पाच्छा फरन थाँकी पीड़ी पकड़ी।
वीं टेम में मंगरा का माते हूँरा की एक रेवड़ चररी ही। ईं वाते वणा हुगली आत्मा ईसुऊँ अरज किदी के, वो वाँने हूँरा में जाबा दे। तो ईसू वाँने हूँरा में जाबा की हाँ कर दिदी।